झारखंड के अधिकतर जिलों में किसान मौसम आधारित फसलों की खेती करते हैं. हालांकि, जब से बड़ी संख्या में युवाओं ने खेती-किसानी में दिलचस्पी दिखाई है तब से इस क्षेत्र में कुछ आमूलचूल बदलाव आए हैं. बड़ी संख्या में किसानों ने कम लागत में बढ़िया मुनाफा पहुंचाने वाले फसलों की खेती की तरफ रूख किया है. गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड के वनखेता गांव मे तीन भाइयों ने मिलकर परंपरागत अनाज व सब्जियों की खेती से हटकर फूलों की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.
फूलों की खेती से प्रति महीने 30 हजार रुपये की आमदनी
गढ़वा जिले के रजनीकांत, रवि और मिथलेश कुशवाहा ने पहली बार व्यवसायिक दृष्टिकोण से फूलों की खेती प्रारंभ किया था. तीनों ने 50 डिस्मिल जमीन पर गेंदा फूल की पुषा नारंगी एवं हजारा वेराईटी लगाई थी. तीनों ने शादी-विवाह के मौसम को देखते हुये जनवरी महीने में ही फूलों को लगाया था. अप्रैल महीने से इनके पौधों में फूल आने लगे. इसके बाद से ही तीनों से फूलों की बिक्री करनी शुरू कर दी. वे एक महीने के अंदर 35 हजार रूपये तक की आमदनी हासिल कर चुके हैं. 3 महीने में 1 लाख रुपये कमाने का लक्ष्य है. इन फूलों की खेती में सिर्फ 5 हजार रुपये ही खर्च हुए हैं.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
रवि कुशवाहा और रजनीकांत ने बताया कि वे परंपरागत रूप से कद्दू, बैंगन आदि की खेती गरमी के इस मौसम में करते थे. इसमें एक तो मेहनत ज्यादा है और दूसरा इसमें खर्च भी अधिक है. वहीं, गेंदें फूल को सिर्फ एक बार लगाने में मेहनत है. इसके खरीदार घर तक आते हैं और माला लेकर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि वे 20-20 माला की एक लड़ी बनाते हैं. ये 250 रुपये तक बिकते हैं. हमने पाया कि फूलों की खेती में कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा है.